बकरी पालन एक बहुत ही कम निवेश और किफ़ायटीशिर व्यवसाय है बकरी पालन एक कृषि व्यवसाय है और किसान इस व्यवसाय को कम पैसे और कम जगह के साथ आसानी से कर सकता है। बकरी का उपयोग मांस और दूध के लिए किया जाता है और वर्तमान में मांस की उच्च कीमतों के कारण यह व्यवसाय बहुत लाभदायक हो सकता है।
देखा जाये तो बकरियों को गाय, भैंस जैसे अन्य जानवरों की तुलना में बहुत कम भोजन की आवश्यकता होती है। क्योंकि एक गाय के चारे में लगभग 7 से 8 बकरियां जिन्दा रह सकती हैं। ऐसे किसान जिनके पास बहुत कम खेती है और कम पैसे में व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, वे बकरी पालन व्यवसाय के लिए जा सकते हैं।
बकरी पालन में किसान बकरियों को खुले में चरने के लिए छोड़ सकते हैं, जिससे चारे और पानी का सवाल ही नहीं उठता। इसमें बकरियों को चारे के साथ-साथ खेत में और तटबंध पर ढेर सारे पौधे मिलते हैं, जिससे बकरियों का स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहता है और उनके मांस का अच्छा दाम मिलता है। इससे ज्यादा मुनाफा हो सकता हैं।
बकरी पालन के फायदे
- बकरी पालन एक कम निवेश वाला व्यवसाय है
- एक बार में दो चूजों को जन्म देने की क्षमता
- बकरियों को बेचने से तुरन्त धन की प्राप्ति होती है
- बकरियों की सबसे ज्यादा मांगनी है।
- बकरीया हर तरह की प्रतिकूल वातावरण में कुशलता से जीवित रहने की क्षमता रखती हैं।
- बकरियों को 15 से 17 महीने में दो बार ब्यांत करवाया जाता है इसलिए संख्या तेजी से बढ़ती है
- एक बार में दो चूजों को जन्म देने की क्षमता
- बकरियों को बेचने से तुरन्त धन की प्राप्ति होती है
- बकरियां जल्दी ब्यांत पर आती हैं इसलिए इनका उत्पादन तेजी से बढ़ता है।
- इनके सींग और खुर भोजन बनाने के काम आते हैं।
- बकरी के मांस का स्वाद अच्छा होता है
- बकरी का मांस स्वादिष्ट होता है।
- रहने के लिए कम जगह लगती है।
- बकरियोंसे लैंडी खाद मिलता है और उसकी बहुत अच्छी कीमत मिलती है।
- बकरियों को किसी भी प्रकार का चारा खिलाया जा सकता है
- बकरी के मांस की काफी डिमांड है।
बकरी पालन तरीके
बकरी पालन तरी के दो प्रकार हैं बंदिस्त और अर्ध-बंदिस्त ।
बंदिस्त बकरी पालन
इसमें बकरियों को खलिहान और शेड में बंद करके उसी जगह पर ही चारा और पानी दिया जाता है
अर्ध-बंदिस्त बकरी पालन
बकरियों को प्रतिदिन कुछ समय के लिए चरने के लिए छोड़ दिया जाता है और फिर वापस खलिहान में लाया जाता है
बकरी पालन के लिए शेड कैसे निर्माण करे
- खलिहान में चारा और पानी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
- गर्भवती, चूजों, बीमारों, बकरियों के लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए।।
- प्राथमिक उपचार और दवाओं की अलग से व्यवस्था होनी चाहिए।
- बकरियां ब्याडनेके बाद उनको और चूजों के लिए कप्पे रख दीजिए.
- पीपीआर, ईटीवी टीके महत्वपूर्ण हैं।
- बकरियों को टुकड़ों में चारा देना चाहिए।
- खलिहान बारिश, धुप और ठंड से सुरक्षित होना चाहिऐ
- समय पर टीकाकरण के लिए दवा रखने की भी जगह होनी चाहिए
- बकरियों का कीटाणुरहित किया जाना चाहिए।
- बकरियों का बीमा होना चाहिए।
बकरी की नस्लें
- जमनापारी बकरी
- संगमनेरी बकरी
- बीटल बकरी
- उस्मानाबादी बकरी
- सुरती बकरी
- अजमेरी बकरी
- मारवाड़ी बकरी
- बरबेरी बकरी