होली

होली भारत का एक अत्यंत प्राचीन पर्व है जिसे होलिका भी कहा जाता है। होली जिसे रंगोंका त्यौहार भी कहा जाता है। वसंत की ऋतु में हर्षोल्हास के साथ मानाने के  कारन इसे “वसन्तोस्तव ” भी कहा जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन बुराई पर अच्छाई की जित के तौर पर होलिका दहन किया जाता है। होली का त्यौहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है ।  इस साल १८ मार्च को होली मनाई जाएगी। देश के अलग अलग क्षेत्रोंमें अलग अलग तरीकेसे होली मनाई जाती है।

होली के पूर्व संध्या पर शाम को होलिका दहन किया जाता है

।होलिका दहन के लिए सुखी लकड़ी ,घास और गोबर का ढेर जलाकर गाना गाते है

 होली की परिक्रमा करके लोग अग्नि की पूजा करते है। होली के दिन घरोंमे खीर पूरी , पूरन पोली आदि का भोग बनाया  जाता है। दिन ढ़लनेपर मुहूर्त के अनुसार होली का दहन किया जाता है। दूसरे दिन लोग सुबहसे ही एक दूसरे के घरोंमे जाकर रंग गुलाल लगते है। होली के दूसरे दिन को धुलेंडी कहते है। इस दिन लोग रंगोंसे खेलते है। होली पर लोग एक दूसरे के घरोंमे जाकर होली की शुभकामनाये देते है।

 




 

घर घर में गुजिया ,हलवा इन जैसे स्वादिष्ट पकवान्न बनाये जाते है

बच्चे पिचकारी से रंग उड़ाते है और नाचते है।होली का त्यौहार हमें एकता  और भाईचारा में रहने का सन्देश देता है।  इस प्रकार होली मनाई जाती है।

 फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक यानि आठ दिन पहले होलाष्टक  माने जाते है। होलाष्टक के आठ दिन किसी भी मांगलिक शुभ कार्य के लिए अशुभ माने जाते है। कहा जाता है की इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य ना करे जैसे की गृह प्रवेश ,शादी विवाह ,भूमि पूजन आदि।

होलाष्टक प्रारम्भ तिथि :- १० मार्च,२०२२ बुधवार

होलाष्टक समाप्ति तिथि :-१८ मार्च,२०२२ शुक्रवार

होलिका दहन :-१७ मार्च,२०२२  गुरुवार

होली :-१८ मार्च ,२०२२ शुक्रवार

पौराणिक ग्रंथोमे वर्णित कथाओ के नुसार कहा जाता है की होलाष्टक के दिनों में यही एक समय था जब भक्त प्रल्हाद को श्री भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए उसीके पिता हिरण्यकश्यप ने कड़ी यातनाये दी थी।  हिरण्यकशपु एक असुर था। हिरण्यकशपु की बहन को वरदान प्राप्त था की वो आग में भस्म नहीं हो सकती  इसीलिए इसके बाद आठवे दिन हिरण्यकश्यप ने आदेश दिया की बहन होलिका के गोदी में भक्त प्रल्हाद को बिठाकर जला दिया जाय । पर इसके बावजूत भी भक्त प्रल्हाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलिका जलकर राख  हो गई। इसलिए इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है। ईश्वर भक्त प्रल्हाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

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